हिमालय के बीच बसा पवित्र हेमकुंड साहिब जो दशमेशगुरू गुरू गोविदं सिहँ जी की तपो भूमि हे समुद्रतल से 4329 मीटर की ऊचाँई पर हे पवित्र तपो भूमि की खोज पंजाब के अमृतसर के भाई सोहनसिंह ने की भाई सोहन सिहं ने जब दशमगुरू गोविदं सिहँ जी की जीवनी पढी तो वे बहुत प्रभावित हुए दशमगुरू ने विचित्र नाटक मे इस तपो भूमि का वर्णन किया हे जो उनहोने लिखा था इस मै गुरू गोविदं सिहँ जी ने लिखा की सात चोटियो के बीच हेमकुंड झील के तट पर उनहोने तप किया भाई सोहन सिहँ जी ने इस तपो भूमि को खोजने का निर्णय लिया काफी कठनाईयो के बीच सन 1832 ई मै वह इस पवित्र भूमि पर पहुँचे वहाँ पहुँचकर सब वैसे ही पाया जैसा विचित्र नाटक मै लिखा था वहाँ पहुँचकर वह चितिंत हो उठे कि गुरुजी ने इस हेमकुंड झील के कहाँ बैठकर तप किया तभी अचानक वहाँ एक बुजुग्र आँ पहुचे और भाई सोहनसिह जी की चितां को पहचानते हुये उनहोने एक सपाट पत्थर की और इशारा किया कि ये वही जगह हे जहाँ गुरुजी तप करते थे इसके बाद भाई सोहन सिहँ जी इस तपोभूमि पर गुरूदाराँ का निर्माण कराया जो सन 1836ई मे बनकर तैयार हुयाँ जो पूरे संसार मै हेमकुंड साहिब के नाम से विखायत हुआँ हिमालय की गोद मै बसे इस तपो भूमि की यात्रा आप भी अवशय करे जय देव भूमि |
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