आज 1.2.2017 को आप सभीं को बसंत पंचमी की . शुभकामनाएँ...............!!
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*बसंत*
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कुदरत के दरबार में फिर से,
आया-आया नवल बसंत।
खिलती कलियां मचले भौंरे,
मुस्काया है ऋतुराज कंत ।।
छलक पड़े घट आशाओं के,
इन्द्रधनुषी सपने हो गए हैं।
पुलकित मन बौराया सखि रे,
सारे पराए अपने हो गए हैं।।
नव-पल्लव-पर निकल पड़े,
उड़ने लगा है प्रीत-पराग ।
फूलों का गदराया है यौवन,
उलझी हैं लताएं तन-अनुराग।।
दुख-सुख बतियाते हैं तरुवर,
है हवा बासंती मन भावन।
प्रेम बदरिया रिमझिम बरसे,
मानो आया भटका सावन।।
नेह-नीर रस भीगा आलम,
पीत चुनरिया लहरायी है।
नव-उमंग तरंगें उठती,
चहुंओर बहार छायी है ।।
राग मल्हार छेड़ते पंछी,
गूंज उठा मण्डल सारा ।
कर किल्लोल मनाएं उत्सव,
सब जीव-जगत मंगलकारा।।
बालक-मन फागुन रंग छाया,
हुआ मुदित मयूरा नाच उठा ।
*मौज-दीप* की ज्योति बसंती,
तन-मन-जीवन सब नाच उठा।।
बसंत पंचमी की सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें..।।
🙏🏻 पुरूषोत्तम नरवर🙏🏻
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